दोस्तों क्या आप भी मास्टरबेट(Masterbution)यानी हस्तमैथुन करते हैं?जाहिर है कि आप या तो हा रहे होंगे या आश्चर्यचकित हो गए होंगे,ये सोच कर कि ये कैसा बेकार सवाल है।पर इस पर बात तो करनी होगी क्योंकि Pahunch भी बेकार नहीं और ना ही बे मतलब है। क्योंकि आज की युवा जेनरेशन हस्तमैथुन (Masterbution)की आदतों को लेकर काफी परेशान है और इससे छुटकारा चाहती है।
एक सर्वे के अनुसार यह पता चलता है कि आज की युवा पीढ़ी में 16 से 17 की उम्र वाले बच्चे भी masterbution जैसी आदतों के आदी हो गए हैं। हालांकि रिपोर्ट्स का कहना यह भी है कि वह इसे छोड़ना चाहते हैं पर मन में नेगेटिव और कामुक विचार आने की वजह से वे ऐसा नहीं कर पा रहे।
दोस्तों हस्तमैथुन को लेकर मॉडर्न साइंस और आयुर्वेदिक संहिताओं में बहुत बड़ा मतभेद है ।आइए पहले जानते हैं कि मॉडर्न साइंस और आयुर्वेदिक संहिताओं के अनुसार हस्तमैथुन के विषय में क्या जानकारी मिलती है।
हस्तमैथुन पर मॉडर्न साइंस
मॉडर्न साइंस इस बात पर जोर देती है कि हफ्ते में काम से कम एक बार मास्टरबेशन करना बॉडी और मन को रिलैक्स करता है और चीजों पर फोकस करने की क्षमता बढ़ाता है। मनोविज्ञान के हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हफ्ते में एक से दो बार हस्तमैथुन करना शरीर को नुकसान नहीं पहुंचता और इससे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम होता है।
हस्तमैथुन पर आयुर्वेद
आयुर्वेदिक विज्ञान इस बात के खिलाफ है और ब्रह्मचर्य जीवन में हस्तमैथुन को बिल्कुल गलत आदत बताता है। आयुर्वेद के अनुसार हस्तमैथुन के दौरान निकलने वाला वीर्य हमारे शरीर का एक मुख्य उत्पाद है ,इसमें न केवल हमारे शरीर की प्राण शक्तियां निहित में होती है,बल्कि इस वीर्य में शरीर से निचोड़ी हुए पोषक तत्वों की मात्रा होती है जो शिशु को जन्म देने की शक्ति रखते है।इसी लिए इस बचाना बहुत जरूरी है,और सिर्फ जरूरत पड़ने पर स्खलन करना चाहिए।वीर्य को बचाना चाहिए और इससे शरीर को स्ट्रेंथ,और तेज मिलता है।
ज्यादा हस्तमैथुन करना सही या गलत?
इस बात से तो बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता की हमारे वीर्य में अदभुद शक्तियां होती हैं।क्योंकि एक नए जीवन के निर्माण में इसका अहम रोल होता है।
हस्तमैथुन के दौरान हमारा शरीर वीर्य के निर्माण में शरीर से ही पोषक तत्वों को निचोड़ कर इसे इजेकुलेशन के दौरान शरीर से बाहर छोड़ देता है। और जब हस्तमैथुन बार-बार किया जाता है तब शरीर से पोषक तत्व पानी की तरह बह कर निकल जाते हैं। इससे मांसपेशियों और हड्डियों में कमजोरी आती है। वही दृष्टि दुर्बलता और जल्दी बूढ़े होने जैसी स्थितियां बनती हैं।