दोस्तों नमस्कार आज हम आपके सामने फिर से हाजिर हुए हैं, एक ऐसे विषय को लेकर जिस पर चर्चा करना काफी जरूरी था। आज की चर्चा का विषय बवासीर को लेकर है।
बवासीर लोगों में होने वाली एक सामान्य समस्या है।मगर इसमें जो हैरानी की बात है वह यह है कि लोग इसे किसी को खुलकर बताना नहीं चाहते।बवासीर को लेकर लोगों के बीच एक शर्म और मिसअंडरस्टैंडिंग बनी हुई है।
दोस्तों आपको बता दे की बवासीर और कुछ नहीं बल्कि पाचन की एक समस्या है,जो की हमारे खानपान और पेट (पाचन) की समस्या से हो जाती है।जाने अनजाने में जब बवासीर शुरू हो रहा होता है तब लोग इसे अनदेखा करके छोड़ देते हैं। और जब यह थोड़ा अधिक बढ़ने लगता है तो, लोग कई सारे उपाय अपनाते हैं,पर किसी को बताना ठीक नहीं समझते।
बवासीर की स्थिति में लोगों के गुदा द्वार में दर्द,खून का आना, गांठ का उभरना, बैठने में दर्द,मल त्यागने में दर्द जैसी दिक्कतें झेलनी पड़ सकती है।बवासीर(Piles) आंत में अधिक दबाव,खिंचाव,के कारण उत्पन्न होता है।
बवासीर के चार स्टेज होते हैं, जिसमें से शुरुआती दो स्टेजों को इंटरनल पाइल्स कहा जाता है,और बाद के दो स्टेजों को एक्सटर्नल पाइल्स कहा जाता है।
आगे बढ़ते हुए हम बवासीर के चारों स्टेजों को समझेंगे उससे पहले जानते हैं कि बवासीर के कौन-कौन से कारण हैं और यह क्यों होता है।
दोस्तों बवासीर के होने का मुख्य कारण हमारे पाचन तंत्र में गड़बड़ी है। हमारे पाचन का ठीक ढंग से कम ना करना हमारे मल(stool) को सख्त बना देता है। कब्ज,गैस,पेट साफ ना होना जैसी समस्याओं के कारण मल आतों में आगे नहीं खिसक पाता। ऐसे में मल को गुदाद्वार(Anus)तक पहुंचने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।जब भी हम मल त्यागने के लिए बैठते हैं तब हमें अधिक जोर लगाना पड़ता है। और इससे आंतों मैं दबाव और स्टूल का सख्त होने के कारण आंतों के अंदुरिनी हिस्सों और stool के बीच अधिक घर्षण होता है।ऐसा होने से आंतों के अंदरूनी हिस्से में मौजूद रक्त वाहिकाओं और टिशूज में सूजन के साथ उभारपन आ जाती है,और यह लाल होने लगती है।
ऐसे में कभी-कभी लैट्रिन करते समय मल के साथ खून आना, दर्द होना और Anus के अंदर खुजली या कालबलाहट का होना जैसी दिक्कतें सामने आती है।ये समस्याएं बढ़ने लगती हैं और सुजन बढ़ने लगती है और धीरे-धीरे समस्या जटिल होती जाती है।
बवासीर(Piles) के स्टेज
पहला स्टेज(Grade 1)
दोस्तों बवासीर का पहला स्टेज वह होता है जिसमें गुदा द्वार की अंदरूनी हिस्से में दबाव और घर्षण के कारण सुजन उभरती है।और इस स्थिति में लैट्रिन के रास्ते मल के साथ कभी-कभी खून आ सकता है।
इसमें लोगों को दर्द का अनुभव लगभग ना के बराबर होता है। मगर बड़ी आंत आखिरी हिस्से यानी की गुदा द्वार के अंदर टिशूज में सूजन और लालपन आ जाता है इसके दौरान Anus में कभी-कभी कालबलाहट और खुजलाहट हो सकती है।
दूसरा स्टेज(Grade 2)
दोस्तों बवासीर के दूसरे स्टेज में मरीज को दर्द का अनुभव होने लगता है, और इस स्थिति में टिशू के सूजने पर इनका नीचे की ओर लटकाना शुरू हो जाता है।
इसमें मल के साथ खून आना, बैठने पर दर्द होना, मल त्यागते समय भी दर्द होना और गुदा द्वार के अंदर तेज कालबलाहट और कट लगने जैसी दिक्कतों का अनुभव होना शुरू हो जाता है। इस स्टेज में रोगी को अनुभव होते ही अपने डॉक्टर के पास बिना देर किए जाना चाहिए।
तीसरा स्टेज(Grade 3)
बवासीर के दूसरे स्टेज के बाद वह ऊतक और नसें जो दबाव और घर्षण के कारण सूज गई होती है और उभर गई होती है। वह धीरे-धीरे गुदा द्वार के आखिरी छोर तक आ जाती है। इसमें शौच करते समय व्यक्ति को अपने गुदा द्वार पर एक गांठ या फिर उभार का अनुभव होता है।
यह वह स्टेज होता है जिसमें बवासीर की समस्या जटिल है हो जाती है। और इसमें बैठने पर भारी दर्द, मल त्यागते समय असहनीय दर्द,अंदर में जलन चिलचिलाहट और अंदर के बाग में चीरा लगने जैसी दिक्कत होने लगती है।
चौथा स्टेज(grade 4)
दोस्तों बवासीर के चौथे स्टेज में उभरी और सूजी हुई नसें और ऊतक अधिक मात्रा में गुदा द्वार के नीचे लटक रहे होते हैं और इसमें व्यक्ति का बैठना,खाना, सोना ,मल त्यागना एक जटिल समस्या बन जाता है।
ऐसी स्थिति में डॉक्टर सर्जरी ऑपरेशन या फिर लेजर ट्रीटमेंट का सहारा लेते हैं।क्योंकि इस स्टेज को दवा द्वारा ठीक करना बहुत मुस्किल हो जाता है।
दोस्तों जैसे की शुरुआत में हमने बात की की बवासीर का असल कारण पेट का गड़बड़ होना कब्ज स्टूल का सख्त होना पेट में गैस अपच जैसी समस्याएं होती हैं।
बवासीर के शुरुआती दो स्टेज (पहला स्टेज और दूसरा स्टेज) जिन्हें हम इंटरनल पाइल्स कहते हैं,इन स्थितियों को हम घर पर ठीक कर सकते हैं।इन स्थिति में दवाओं से ठीक होने के चांसेस 70 प्रतिशत तक होते हैं।
इसके लिए हमें अपने खान-पान में बदलाव और दिनचर्या में बदलाव करने बहुत जरूरत होती है।
बवासीर से बचाव के उपाय
•इसके लिए अपने भोजन में फाइबर की मात्रा जरूर सुनिश्चित करें ।हमारे आहार में 20 से 25 ग्राम फाइबर जरूर होना चाहिए।
•विटामिन सी पाचन के लिए बहुत जरूरी है।
•अपने हर आहार में के साथ हरी सब्जियां सलाद और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जरूर शामिल करें।
•दिन भर में कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीना बहुत आवश्यक है।जिससे हमारा stool मुलायम और नरम हो जिससे ये आतों में आसानी से आगे बाहर की ओर बढ़ सके।•रोज सुबह गर्म पानी जरूर पिएं जिससे मल त्यागने में आसानी हो।
•दिन भर में 20 मिनट की एक्सरसाइज बहुत आवश्यक है इसे आंतों की मूवमेंट होती है।
•खाने के बाद 15 से 20 मिनट अवश्य चले।
दोस्तों यह थी कुछ ऐसी जानकारियां जिससे बवासीर के स्टेज हो और उनके कर्म के साथ-साथ उनसे बचने का उपाय समझा जा सकता है। आशा है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी और आप इस जानकारी के माध्यम से अपना और अपने परिवार का ख्याल रखेंगे।
अपने इसलिए कबड्डी धैर्य और ध्यान से पढ़ा आपका बहुत-बहुत नमस्कार।