तांबे का उपयोग पुराने समय से ही होता चला आ रहा है।इसे शुभ अवसरों पर प्रयोग करने से पवित्रता आती है ऐसा हिन्दू धर्म में मान्यता है।पूजा करते समय तांबे की थाली का प्रयोग उचित माना जाता है।
दरअसल इसे यूज करने के सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं है बल्कि इसे प्राचीन सभ्यता से ही उपयोग में लाए जाने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण हैं।एक्सपर्ट्स का मानना है की इसके बर्तन जैसे बॉटल, लोटा,गिलास आदि में पानी पीने से शरीर में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शरीर से बीमारियां दूर रखने में ये सहायक है।आइए जानते हैं इस विषय के बारे में विस्तार से
तांबे में ऐसे माइक्रोबियल गुण होते हैं जो शरीर से टॉक्सिंस को बाहर निकलने में मदद करते है।तांबे में रखे पानी को पीने से मूत्र और मल द्वारा शरीर से टॉक्सिक पदार्थ बाहर हो जाते हैं।रात को तांबे के बॉटल या लोटे में रखे जल को सुबह बासी मुंह से पीने पर शरीर से टॉक्सिंस मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते है।और शरीर फ्रेश और लाइट फील करता है।
पाचन को करता है मजबूत और तंदरुस्त– तांबे के बर्तन में पानी रखने से इस तांबे(कॉपर) के माइक्रो पार्टिकल्स पानी में घुल कर हमारे अमाशय, आंतों जैसे अन्य पाचन तंत्रों को स्वस्थ बनाकर भोजन में उपस्थित सभी पोषक तत्वों के साथ मिलकर शरीर को स्वस्थ बनाता है।
लीवर को करता है साफ– 12 से 14 घंटे तक तांबे के बर्तन में रखा पानी सुबह खाली पेट और बासी मुंह पीने से लीवर डिटोक्सिफाई होता है।जिससे चेहरे पर रंगत शरीर फुर्तीला लगता है। डायबिटीज को दूर रखने में भी मदद मिलती है।
माइंड होता है शार्प– तांबे में रखा पानी माइंड को शार्प बनाता है।
सोचने समझने और याद रखने की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है।
शरीर में कफ की प्रकृति को कम करके हमे झुकाम शर्दी और अन्य संक्रामक रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
विचार करें
आज हमने आपको पुरानी सभ्यता से चली आ रही इस आदत को समझाया।कभी कभी कुछ लोगों को इससे परेशानी भी हो सकती है जैसे एलर्जी मन खराब होना तब ऐसे में चिकत्सक की सलाह ले सकते हैं।
मिलेंगे फिर ऐसे ही अच्छी से और उपयोगी जानकारी के साथ तब तक के लिए आज्ञा दीजिए। नमस्कार!