किसको हो सकता है बड़ी आंत का कैंसर,जाने खतरा?

कैंसर के कारण हो रही मौतों में एक बड़ी संख्या के लिए बड़ी आंत का कैंसर जिम्मेदार है। दुनिया में कैंसर से पीड़ित मरीजों में बड़ी आंत का कैंसर एक मुख्य स्थान रखता है।

यदि इसकी पहचान शुरुआती स्टेज में हो जाए तो इसका इलाज संभव होता है और इसके ठीक होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं परंतु जितना ही देर से इस कैंसर का पता चलता है इसका इलाज उतना ही होता है और इस कैंसर के ठीक होने के चांस कम हो जाते हैं।WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल महिलाओं की अस्मायिक मृत्यु के बड़े कारणों में स्तन कैंसर शामिल है।

क्या है कोलोन कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर?

कोलोन कैंसर या फिर कोलोरेक्टल कैंसर बड़ी आंत के आखिरी छोर के दो से तीन इंच की नली के पास जिसे मलाशय या गुदाद्वार कहा जाता है, उस स्थान पर कोशिकाएं अनियमित रूप से बढ़ रही होती है।इस स्थिति में बड़ी आंत की कोशिकाएं उत्परिवर्तित होकर कैंसर युक्त कोशिकाओं में विभाजित होने लगती है। जिससे आंत की नली के आंतरिक परतों में कैंसर, ट्यूमर, पस या फिर सड़न उत्पन्न होने लगती है। बड़ी आंत में कैंसर मलाशय के अलावा अन्य स्थानों में भी पनप सकता है।

इस कैंसर के लक्षण क्या हैं?

इस बात की पहचान कैसे की जाए कि किसी को कोलोरेक्टल कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर है? बड़ी आंत का कैंसर होने पर अधिकतर लोगों में कुछ सामान्य लक्षण सामने आते है जो कोलोरेक्टल कैंसर की पुष्टि करते है।जैसे- 

अचानक से वजन घटना-अचानक से वजन घटने लग जाना आंतो के कैंसर के कारणों में से एक है। इस स्थिति में भूख वाले हार्मोन का स्त्राव बाधित होता है जिससे समय पर भूख नहीं लगती और मांसपेशियों और हड्डियों से प्रोटीन कैल्शियम जैसे तत्व ऊर्जा के लिए यूज होने लगते हैं,लिहाजा वजन कम होता है।

पेट फूलना- भोजन के पश्चात पेट फूल जाना बड़ी आंत में सूजन होने का संकेत है। ऐसे में जरूरी है कि चिकित्सक से मिलकर इसकी जांच कराई जाए

Young woman holding her flank with kidney pain

पेट में दर्द बने रहना – आंत में सूजन और पेट में लगातार दर्द बने रहना या फिर गुदाद्वार के पास दर्द होना कोरोलैक्टल कैंसर की ओर इशारा करता है

मल में खून आना – मल त्यागते समय मल में खून आना,मलाशय या फिर आंतों की आंतरिक परतों में खून के स्राव का कारण है। कोरोरेक्टल कैंसर के दौरान बड़ी आंत की आंतरिक परत की रक्त वाहिकाएं फटती है जिससे खून स्रावित होता है।

लगातार लूज मोशन (दस्त) होना- यदि कोई व्यक्ति सामान्य तौर पर दिन में एक से दो बार लैट्रिन के लिए जाता हो और अचानक से यह फ्रीक्वेंसी बढ़ जाए।यानी कि उसे दिन में तीन से चार या फिर पांच बार तक लैट्रिन के लिए जाना पड़े तब ऐसे में यह कोलोन कैंसर या कोरोरेक्टल कैंसर का लक्षण हो सकता है।

कोलोरेक्टल कैंसर के कारण

आईए जानते हैं कुछ ऐसे कारण जिनकी वजह से प्रायः कोलोरेक्टल कैंसर लोगों को हो जाता है।

तंबाकू,अल्कोहल,और स्मोकिंग- जो लोग तंबाकू शराब या फिर स्मोकिंग करते हैं उन लोगों में इस कैंसर के चांस बढ़ जाते हैं। तंबाकू जैसी चीज बड़ी आंत में टॉक्सिंस जमाव में मदद करती है वही अल्कोहल और स्मोकिंग के तत्व शरीर में जाकर जहरीले कंपाउंड्स में बदल जाते हैं। जिससे आंतो में या फिर मलद्वार के पास जमा होकर कैंसर उत्पन्न करते हैं।

वेस्टर्न फूड्स,फास्ट- जंक फूड्स- आजकल भारतीय जनसंख्या अपने सात्विक भोजन को छोड़कर पश्चिम और उत्तरी देशों के भोजन को अधिक पसंद कर रही है। जिसमें अधिक तले-भुने होने अधिक मसालेदार और फर्मेंटेड फूड्स शामिल है। पास्ता, पिज़्ज़ा, चाऊमीन और इसके जैसे अन्य फूड्स न केवल पचाने में मुश्किल पैदा करते हैं बल्कि आंतो में टॉक्सिंस जमा कर सालों तक चिपके रहते हैं।

Red meat का सेवन- एक शोध में यहां पाया गया कि अन्य मीट और नॉनवेज भोजनों के अपेक्षा रेड मीट पाचन तंत्र के कैंसर के लिए अधिक उत्तरदाई है। रेड मीट पाचन तंत्र में कैंसर के चांस बढ़ाता है। रेड मीट में बकरे,भेड़,भैंसे,सूअर जैसे जानवरों का मांस शामिल है।

अनियमित भोजन करना- रोजाना की भाग दौड़ भरी और व्यस्त जिंदगी में भोजन का समय टालना हमारी आदत है। अनियमित समय पर भोजन करने से भोजन का पाचन सही से हो नहीं पता और पेट में भोजन देर तक रहकर फर्मेंट(सड़ना)होने लगता है। जिससे आंतो में टॉक्सिंस बनते हैं और कैंसर का कारण बनते हैं। देर रात को खाना, सुबह जल्दी हैवीमील लेना बंद करना चाहिए।

अनुवांशिकी और फैमली हिस्ट्री – जिन लोगों में माता-पिता या फिर दादा दादी जैसे लोगों में आंतों के कैंसर के लक्षण होते हैं जिनके कारण आनुवांशिक तौर पर उन्हें भी कैलोरेक्टर कैंसर होने के चांस होते हैं।पूर्वजों में होने वाला कोलोरेक्टल कैंसर या फिर कोलोन कैंसर अपनी अगली पीढ़ी में ट्रांसफर हो सकता है।

 इलाज और बचाव

इस कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में लग जाने पर डॉक्टर द्वारा इसका इलाज संभव हो सकता है। जितनी ही देर से इसका  का पता चलता है इसका इलाज उतना ही जटिल होता है। कोलोरेक्टल या फिर बड़ी आंत के कैंसर के लिए चिकित्सक रेडियोथैरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी का उपयोग करते हैं।

वही इस कैंसर से बचने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है

अपनी नियमित भोजन करना बंद करना चाहिए।तंबाकू,अल्कोहल और स्मोकिंग का स्तर बहुत कम रखना चाहिए।

अधिक तली भुनी चीजें और फास्ट फूड-जंक फूड्स को अवॉइड करना चाहिए

वही हरी पत्तेदार सब्जियां और हाइड्रेट रखने वाली चीजों का सेवन अधिक करना चाहिए।

ऐसी चीजों का सेवन जरूर करें जिनमें फाइबर की भरपूर मात्रा हो।

सप्ताह या फिर 10 दिन में कम से कम एक बार व्रत रखने की आदत जरूर डालनी चाहिए। इससे पाचन तंत्र को आराम और सफाई के साथ-साथ मरम्मत का समय मिलता है।

दोस्तों आशा है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी और इससे आपको आंत के कैंसर के बारे में कुछ जानकारियां मिली।हमने ये जानकारी चिकत्शक से बातचीत करके और उनकी अनुभव से साझा की है। जरूरी है कि आप इसके बारे में कोई ठोस कदम उठाने से पहले चिकित्सक की राय जरूर लें।

आपने इस लेख को बड़ी धैर्य और ध्यान से पढ़ा आपका बहुत आभार नमस्कार।

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