दोस्तों आज हम चर्चा करने के लिए आ पहुंचे हैं मोमोस के विषय पर।हां वही मोमोस जो आज कल रोड के किनारे ठेलों पर और छोटी-छोटी फास्ट फूड कार्नरों पर मिलने लगा है। मिलने लगा है से मतलब यह है कि आज से लगभग 2 से 3 साल पहले भारत में मोमोस का नामोनिशान तक नहीं था। परंतु तिब्बत से शुरू हुई यह डिश नेपाल के काठमांडू शहर में में अधिक प्रचलित होते हुए अब नेपाल से भारत देश आ पहुंची।और आलम ये है की पूरे भारत में ये डिश बहुत जोरों से फैल गई है और खाई जा रही है।
दोस्तों चर्चा का विषय यह है कि क्या मोमोज हमारे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है या फिर नुकसानदेह।
हाल ही में भारत के रांची में हुई मेडिकल रिसर्च में ये सामने आया है की जो लोग मोमोस का सेवन अधिक या अक्सर कर रहे हैं, उनमें हाई ब्लड प्रेशर,हार्ट स्ट्रोक,टॉक्सिक ब्लड और कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।
आपको बता दें की मोमोस मैदे से बनता है जिसमे से फाइबर और प्रोटीन को पूरी तरीके से निकाल दिया जाता है,बचाता है सिर्फ मृत स्टार्च।
मोमोस तिब्बत में प्रचलित एक डिश थी जिसमें जानवरों के मांस को भरकर इसे भाप द्वारा पकाया जाता था। धीरे-धीरे यह डिश काठमांडू तक आ पहुंची और इसे अलग-अलग स्थानों पर अपने अनुसार और अपने तरीकों से बनाया जाने लगा।
कहीं पर इसमें रेड मीट तो कहीं पर इसमें चिकन और कहीं-कहीं पर इसमें वेज मोमोज के तौर पर कच्ची सब्जियों को भरकर बनाया जाने लगा। लोगों में यह बहुत ही लोकप्रिय डिश बन चुका है। परंतु हम में से जितने लोग इसके बारे में गहराई से जानकर सतर्क रहेंगे उन्हें अपने स्वास्थ्य का ख्याल रहेगा और अपने परिवार के स्वास्थ्य का भी।
मोमोस की चटनी
मोमोस बिना चटनी की कुछ भी नही।बहुतों को यह मालूम है कि मोमोज की चटनी टमाटर को उपयोग में लाकर बनाई जाती है।परंतु जब आप इसकी रेसिपी में प्रयोग हुए टमाटर को देखेंगे तो दंग रह जाएंगे। यह टमाटर वे टमाटर होते हैं जो मंडियों में सारे टमाटरों की बिकने के बाद सड़े गले हुए रह जाते हैं।इन्हीं टमाटरों का उपयोग कर मोमोज की चटनी बनाई जाती है।और इसमें कई सारे कलर इनग्रेडिएंट मिलाए जाते हैं जिससे यह देखने में चटपटी और स्पाइसी लगे।ये हानिकारक बैक्टीरिया और जीवाणुओं से भरी होती है।इससे चेस्ट में जलन,उल्टी,दस्त,बवासीर जैसी समस्याएं जल्दी घर कर लेती है।
मोमोस में उपयोग होने वाले हानिकारक अवयव
दोस्तों मोमोज में उपयोग होने वाले मैदे से फाइबर और प्रोटीन के पूरी तरह निकलने से इसकी प्रकृति अम्लीय हो जाती है। इसे भाप द्वारा पकाने के बाद इसे खाने से अपच आंतों में इसका चिपकाना और आंतों में ब्लॉकेज का खतरा हो जाता है। मोमोज बनाते समय इसका रंग उचित तौर पर हल्का पीला होता है,परंतु इसे बेचने के लिए और लोगों में इसे अच्छा दिखाने के लिए इस पर सफेदी लाई जाती है। और यह सफेदी लाने (ब्लीचिंग)की प्रक्रिया में Benzoyl peroxide और chlorine जैसी गैस का उपयोग होता है
नोट –कई ऐसी जानकारियां और रिपोर्ट्स सामने आई है जिनमे नॉनवेज मोमोस को बनाते समय उसमे मृत जानवरों के मांस का उपयोग किया जाना सामने आया है।साथ ही इसमें उपयोग होने वाली सब्जियों को जिनमे पत्ता गोभी मुख्य है इनकी गुणवत्ता बहुत बेकार बताई जाती है।इन्हे साल के 12 महीने स्टोर करने और उपयोग में लाने की प्रक्रिया बिल्कुल भी खाने योग्य नहीं है।
दोस्तों आज के इस लेख में हमने आपको मोमोज की ऐसी जानकारियां दी जिनसे हर किसी को वाकिफ होना चाहिए। यह आपको तय करना है कि आप हेल्दी भोजन खाना चाहते हैं या फिर सिर्फ चटपटी चीजों की तौर पर अनहेल्दी फास्ट फूड।
दोस्तों मिलेंगे फिर किसी ऐसी ही जरूरी जानकारी के साथ तब तक के लिए आज्ञा दीजिए। आपने इस लेख को बड़े ही धैर्य और ध्यान से पढ़ा आपका बहुत आभार।नमस्कार!